TQ.HIMAYATNAGAR-431802.DIST.NANDED.
(Affiliated to Swami Ramanand Teerth Marathwada University)
Recognized by UGC U/s 2(f) and 12(B),NAAC accredited with 'B' Grade(CGPA 2.48)
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भाषा मनुष्य के विचारों का आदान - प्रदान करने का साधन है। मनुष्य आंख, कान, नाक, मुंह आदि को लेकर उत्पन्न होता है। भाषा लेकर नहीं। तात्पर्य यह है कि, भाषा जन्मजात वस्तु नहीं है। मनुष्य में पशुओं की अपेक्षा इतनी अधिक विलक्षणता और विशिष्टता होती है कि, वह भाषा सीख सकता है।अर्थात मनुष्य में भाषा ग्रहण करने की प्राकृतिक शक्ति होती है। जिस भाषा क्षेत्र में जो व्यक्ति उत्पन्न होता है। उसे वह अनायास सीख लेता है। भारत देश बहुभाषी देश है। इस देश की मातृभाषा का सौभाग्य संस्कृतभाषा से जन्मी तथा प्राचीन काल से विभिन्न रूपों में विकसित होती हुई हिंदी भाषा को मिला है। आजादी की लड़ाई में इसी हिंदी भाषा में विभिन्न भाषी लोगों को अंग्रेजी के खिलाफ एकत्रित करते हुए उन्हें भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया। वहीं हिंदी आज देश की सम्मान की राजभाषा, राष्ट्रभाषा तथा संपर्क भाषा के रूप में विद्यमान है। हिंदी भाषा यहीं पर ही नहीं रुकी वह प्रभावित होकर जन भाषाओं के शब्द ग्रहण करते हुए आज अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनने के लिए प्रयासरत है।.
(Professor & Reasearch Guide)
Head Of Department In Hindi
E-mail: [email protected]
Mo.no. 9404539785
Designation : Associate Professor & Research Guide (Department of Hindi)
Qualification :- M.A., Set, Ph.D, B.Ed, B.P.Ed
Email id: RC [email protected]
Mo. No. 9923062340
हिंदी भाषा में विपुल मात्रा में साहित्य सृजन हुआ है। इस साहित्य में आदिकालीन संस्कृति, रासो साहित्य, अमीर खुसरो का साहित्य बड़ी मात्रा में उपलब्ध है। भक्ति काल में भक्ति की धारा से लेकर संत कबीर,तुलसीदास, सूरदास, रैदास जैसे महान संत अवतरित हुए।उन्होंने तत्कालीन समाज को नई दिशा देने का कार्य किया है। रीतिकाल में बिहारी तथा कवि भूषण ने क्रमशः श्रृंगार परक तथा वीर रसात्मक काव्य लिख कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया आधुनिक काल में भाषा के उद्भव के साथ हिंदी में नई विधाओं का जन्म हुआ। जिसमें कहानी, उपन्यास, कविता, नाटक, निबंध, संस्करण, रेखाचित्र, आत्मकथा, जीवनी, एकांकी आदि विधाओं के माध्यम से समाज में प्रचलित समस्याओं का समाज के सामने लाकर उसका पर्दाफाश किया गया है।.
हमारा महाविद्यालय एकता हिंदी भाषी प्रदेश में न होकर भी हमारे विभाग द्वारा छात्रों में हिंदी भाषा तथा साहित्य के प्रति रुचि निर्माण करने का सफल प्रयास किया जा रहा है। महाविद्यालय का हिंदी विभागतथाहिंदी विषय के छात्र तथा छात्राओं को साहित्यिकहिन्दी, व्यापारिक हिंदी, प्रयोजनमूलक हिंदी, व्याकरण हिंदी, संत साहित्य, भाषा शिक्षण तथा साहित्य शास्त्र जैसे विषयों से अवगत कराते हुए छात्रों मे जीवन जीने की नई उम्मीद और उर्मी निर्माण करता है। साथ ही हमारे हिंदी विभाग के छात्र एम. पी. एस. सी. तथा यू.पी.एस.सी. जैसे परीक्षाओं में हिंदी मे सफलता हासिल करने की कोशिश करतेहै। वर्तमान युग विज्ञान का युग है। हिंदी विभाग की ओर से छात्रों को विभिन्न प्रकार के विज्ञापन बनाने की कला सिखाई जाती है। महाविद्यालय में हिंदी विभाग की स्थापना महाविद्यालय की स्थापना से ही अर्थात 2001 में हुई है। महाविद्यालयकि स्थापना के प्रथम वर्ष से हिंदी प्राकल्याण पाटील तथा प्रा. शेखशहेनाज यह दोनों विभागमेंआधीव्याख्याता के रूप में नवंबर 2005 तक कार्यरत थे।औरतद्पश्चातविभागमेंनवम्बर 2005 में डॉ शिवाजी नागोबाभदरगे नए अधिवक्ता के रूप में भर्ती हुई तब से लेकर आज तकवे हिंदी विभाग प्रमुख के रूप में कार्यरत है।साथही साथडॉशेखशहेनाजभी आज हिंदी विभाग मेकार्यरत हैं।ये दोनोंबड़ी सफलता पूर्वक अध्यापन कार्य कर रहा है।आज महाविद्यालयमें प्राचार्य रुप मे 2017 से डॉ़. उज्वलासदावर्तेमैडम कार्यरत है।.